
आईडब्ल्यूएआई ने राष्ट्रीय जलमार्गों पर कार्गो को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक दिग्गज रेनस लॉजिस्टिक्स इंडिया के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए: पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय
नई-दिल्ली (PIB): पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (एमओपीएसडब्ल्यू) के अंतर्गत भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) ने आज भारत में विभिन्न राष्ट्रीय जलमार्गों पर अपनी बार्ज सेवाओं को परिचालित करने के लिए रेनस लॉजिस्टिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। रेनस लॉजिस्टिक्स एक जर्मनी स्थित अंतर्राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स सेवा प्रदाता है जो वैश्विक स्तर पर 70 से अधिक देशों में परिचालन कर रहा है और इसका वार्षिक कारोबार 8.2 बिलियन यूरो का है।
इस समझौते पर नई दिल्ली में पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर जलमार्ग मंत्रालय के सचिव श्री टी.के. रामचंद्रन, आईडब्ल्यूएआई के अध्यक्ष श्री विजय कुमार, प्राधिकरण के अन्य वरिष्ठ अधिकारी तथा रेनस लॉजिस्टिक्स इंडिया के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
समझौता ज्ञापन के तहत, रेनस लॉजिस्टिक्स चरणबद्ध तरीके से एनडब्ल्यू-1, एनडब्ल्यू-2, एनडब्ल्यू-16 और भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल (आईबीपी) मार्गों पर पुशर टग के साथ 100 मालवाहक जहाजों को तैनात करेगा। पहला चरण 2025 की तीसरी तिमाही से शुरू होगा और इस दौरान इन जलमार्गों में लगभग 20 बार्ज और छह पुशर टग तैनात किए जाने की उम्मीद है। जलमार्गों में लो-ड्राफ्ट नेविगेशन के अनुरूप पुशर और बार्ज के संयोजन का उपयोग उत्तर और पूर्वी भारत, उत्तर-पूर्व भारत तथा उसके बाद पड़ोसी देशों में बल्क एवं ब्रेक-बल्क कार्गो के परिवहन के लिए किया जाएगा। देश के अन्य राष्ट्रीय जलमार्गों को शामिल करने के लिए परिचालन को धीरे-धीरे बढ़ाया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री सोनोवाल ने आईडब्ल्यूएआई और रेनस लॉजिस्टिक्स इंडिया के बीच समझौता ज्ञापन को देश में एक सशक्त मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम के निर्माण की दिशा में एक साहसिक कदम बताया। उन्होंने इसे आईडब्ल्यूटी क्षेत्र में निजी भागीदारी के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण बताया और उम्मीद जताई कि इससे क्षेत्र में नवाचार और पूंजी निवेश के नए अवसर खुलेंगे। यह कदम जलमार्ग बुनियादी ढांचे के प्रभावी उपयोग और विस्तार को सुनिश्चित करेगा जिससे परिचालन लागत कम होगी तथा आईडब्ल्यूटी क्षेत्र अधिक प्रतिस्पर्धी और बाजार की मांग के प्रति उत्तरदायी बनेगा।
आईडब्ल्यूएआई और रेनस लॉजिस्टिक्स इंडिया के बीच साझेदारी जलमार्ग विकास परियोजना की सफलता का प्रमाण है, जिसे विश्व बैंक की वित्तीय सहायता से राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (गंगा नदी) की क्षमता वृद्धि के लिए क्रियान्वित किया जा रहा है। इस परियोजना के तहत, आईडब्ल्यूएआई संपूर्ण रूप से मेंटेनेंस ड्रेजिंग, आईडब्ल्यूटी टर्मिनलों और नेविगेशनल लॉक्स का निर्माण, सामुदायिक जेटी की स्थापना और सुचारु व कुशल यात्री और कार्गो परिवहन के लिए पूरे जलमार्ग पर नेविगेशनल सहायता प्रदान कर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और माननीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल के कुशल मार्गदर्शन में, आईडब्ल्यूएआई ने विकास के एक मजबूत इंजन के रूप में जलमार्गों को विकसित करने के लिए बुनियादी ढांचे संबंधी कई कदम उठाए है। देश में परिचालन वाले कुल जलमार्गों की संख्या 24 से बढ़कर 29 हो गई है। अब तक, 13 राष्ट्रीय जलमार्गों पर रिवर क्रूज का परिचालन किया जा रहा है। राष्ट्रीय जलमार्गों पर कार्गो यातायात 145.84 मिलियन टन के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है। हाल ही में शुरू की गई 'जलवाहक' कार्गो प्रोत्साहन योजना से इसे और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। पिछले साल दिसंबर में शुरू की गई, इस योजना के तहत जलमार्ग से यात्रा करने वाले लोगों को कुल वास्तविक परिचालन व्यय का 35 प्रतिशत तक का प्रोत्साहन दिया जाता है, जिससे यह पहले की तुलना में अधिक आकर्षक हो गया है। इस योजना के तहत आईबीपी मार्ग के ज़रिए एनडब्ल्यू-1, एनडब्ल्यू-2 और एनडब्ल्यू-16 पर माल परिवहन के लिए एक निर्धारित अनुसूचित सेवा भी शुरू की गई है।
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