
लाइव 'ला': वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा से व्यथित: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली (लाइव 'ला'): वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिकता पर दो घंटे की सुनवाई के अंत में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना ने लोगों से हिंसा का सहारा न लेने की अपील की।
सीजेआई ने कहा,
"एक बात बहुत परेशान करने वाली है, हिंसा हो रही है। एक बार मामला न्यायालय के समक्ष आ जाए...ऐसा नहीं होना चाहिए...हम तय करेंगे।"
पिछले सप्ताह मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल) में अधिनियम के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन में हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें कथित तौर पर तीन लोगों की मौत हो गई थी।
सीजेआई, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ को वर्तमान में 2025 अधिनियम को चुनौती देने वाली 70 से अधिक याचिकाओं की जानकारी है। मूल अधिनियम, वक्फ अधिनियम, 1995 की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली एक याचिका भी है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले पांच राज्यों असम, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र ने इस कानून का समर्थन करते हुए हस्तक्षेप के लिए आवेदन दायर किए हैं।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी जवाब देते हुए कहा:
"यह ऐसी परिघटना है, जिसमें आप हिंसा के ज़रिए किसी व्यवस्था पर दबाव डाल सकते हैं।"
इस पर सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, जो आज सबसे पहले दलीलें पेश करने वाले थे, ने टिप्पणी की:
"मुझे नहीं पता कि कौन किस पर दबाव डाल रहा है।"
अन्य वकीलों ने भी हिंसा के खिलाफ अपील की। न्यायालय कल यानी गुरुवार दोपहर 2 बजे मामले की सुनवाई जारी रखेगा और उसने पक्षों से 2025 अधिनियम के "सकारात्मक" पहलू को उजागर करने का भी अनुरोध किया।
सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई पहली दस याचिकाएं AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, दिल्ली AAP MLA अमानतुल्ला खान, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी, समस्त केरल जमीअतुल उलेमा, अंजुम कादरी, तैय्यब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद फजलुर्रहीम और RJD सांसद मनोज कुमार झा की हैं।
सभी याचिकाओं में चुनौती दिए गए सामान्य प्रावधान
'उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ' प्रावधान को हटाना, केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना, परिषद और बोर्ड में महिला सदस्यों को शामिल करने की सीमा दो तक सीमित करना, वक्फ बनाने के लिए 5 साल तक प्रैक्टिसिंग मुस्लिम के रूप में रहने की पूर्व शर्त, वक्फ-अल-औलाद को कमजोर करना, 'वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर "एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास" करना, न्यायाधिकरण के आदेश के खिलाफ अपील, सरकारी संपत्ति के अतिक्रमण से संबंधित विवादों में सरकार को अनुमति देना, वक्फ अधिनियम पर परिसीमा अधिनियम का लागू होना, एएसआई संरक्षित स्मारकों पर बनाए गए वक्फ को अमान्य करना, अनुसूचित क्षेत्रों पर वक्फ बनाने पर प्रतिबंध आदि कुछ ऐसे प्रावधान हैं जिन्हें चुनौती दी गई।
(केस टाइटल: असदुद्दीन ओवैसी बनाम भारत संघ|W.P.(C) संख्या 269/2025 और अन्य).
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(समाचार & फोटो साभार: लाइव 'ला')
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