विशेष: शैतान तो वही रहता है: रघु ठाकुर
विशेष में प्रस्तुत है, कोविड महामारी काल के अवसर पर राजनैटिक पैगम्बर- महान समाजवादी चिंतक व विचारक- रघु ठाकुर, राष्ट्रीय संरक्षक- लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी की कविता:
*शैतान तो वही रहता है*
अरे देखो-पहचानो,---
ये वही तो हैं
जिन्होंने ईसा को फांसी लगाई थी।
ये वही है -जिनने जर्मनी में/यहूदियों का कत्लेआम कर
तबाही मचाई थी।
यही है वे जिनने बुद्ध के स्तूप तोड़े थे,
यही है वे जिनने गांधी पर गोली चलाई थी।
यही है वे जिनने मंदिरों को तोड़ा था,
यही है वे जिनने मस्जिद ढहाई थी।
युग बदलता है-काल बदलता है,
मूल तो वही है-बस नाम बदलता है।
भले ही बदल जाये शक्लो सूरत
पर हैवान वही रहता है,
इंसान की शक्ल में
शैतान वही रहता है।।
-:रघु ठाकुर:-
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