संपत्ति बेच विनिवेश लक्ष्य होगा पूरा!
मुद्रीकरण की तैयारी
► मार्च से पहले कई सार्वजनिक उपक्रमों की संपत्तियों के मुद्रीकरण की हो रही तैयारी
► परिसंपत्ति बिक्री में तेजी के लिए विभागों और केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को सजग किया गया.
► सूत्रों ने कहा, करीब एक लाख करोड़ रुपये की परिसंपत्ति बेची जा सकती है.
► केंद्रीय उपक्रमों की परिसंपत्ति बिक्री का मुनाफा सरकार को लाभांश के रूप में मिलेगा.
नई-दिल्ली: बिजनेस स्टैंडर्ड में जारी खबरों में बताया गया है कि, चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र की कई कंपनियों का निजीकरण पूरा होने की संभावना नहीं है, ऐसे में केंद्र सरकार को संपत्तियों के मुद्रीकरण के जरिये 2019-20 में 1.05 लाख करोड़ रुपये के महत्त्वाकांक्षी विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिल सकती है।
सूत्रों के अनुसार सरकार के साथ ही संपत्ति पुनर्गठन कंपनियां केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों की कई संपत्तियों के मुद्रीकरण की प्रक्रिया के अग्रिम चरण में है। इन संपत्तियों में कार्यालय की जगह, अपार्टमेंट, फैक्टरियां, जमीन, बिजली पारेषण संपत्तियां, गैस पाइपलाइन, दूरसंचार संपत्तियां आदि शामिल हैं। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, 'कई विभागों और सार्वजनिक उपक्रम संपत्तियों के मुद्रीकरण में तेजी लाने में जुटे हैं।'
सरकार के साथ काम कर रही भारत की प्रमुख परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनियों में से एक से जुड़े सूत्र ने कहा कि 31 मार्च, 2020 से पहले करीब 1 लाख करोड़ रुपये की संपत्तियों की बिक्री की जा सकती है। उन्होंने कहा, 'इन संपत्तियों की बिक्री करना काफी आसान होगा, क्योंकि इनमें खरीदार की काफी दिलचस्पी हो सकती है और जोखिम भी कम है।'
हालांकि एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि संपत्तियों की बिक्री के लिए लक्ष्य तय करना काफी कठिन है। अधिकारी ने कहा, 'केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों की संपत्तियों के मामले में संपत्ति की बिक्री से मिलने वाला पैसा संबंधित कंपनी के पास जाएगा। उसके बाद कंपनी लाभांश के तौर पर सरकार को भुगतान करेगी। अगर वह घाटे वाली कंपनी होगी तो कंपनी अधिनियम के तहत वह लाभांश नहीं दे सकती है। ऐसे में हम संपत्तियों की बिक्री से प्राप्त रकम का लक्ष्य तय नहीं कर सकते हैं।'
केंद्र की संपत्ति मुद्रीकरण के लिए दो तरह की योजना है। नीति आयोग ने जो योजना बनाई है, उनमें पांच से छह सरकारी स्टेडियम, बिजली पारेषण संपत्तियों, गेल की गैस पाइपलाइन, बीएसएनएल और एमटीएनएल की संपत्तियों के साथ ही दार्जिलिंग, कालका-शिमला और नीलगिरि हेरिटेज रेल परिचालन शामिल हैं।
एक दूसरे सरकारी अधिकारी ने कहा कि इन परिसंपत्तियों के बारे में शीर्ष स्तर पर चर्चा चल रही है और सभी संबंधित विभागों में काम चल रहा है। केवल विरासत रेल मार्गों पर अब तक कोई प्रगति नहीं हुई है। निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) भी इस पर विचार कर रहा है। ये कपंनियों की गैर प्रमुख परिसंपत्तियां हैं जिन्हें रणनीतिक बिक्री, सार्वजनिक उपक्रमों के बीच विलय या बंद करने के लिए चिन्हित किया गया है।
इन परिसंपत्तियों में भूखंड, कारखाने, अपार्टमेंट और दफ्तर की जगह शामिल हैं जो विभिन्न केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों से जुड़ी हैं। इनमें प्रोजेक्ट ऐंड डेवलपमेंट इंडिया लिमिटेड, हिंदुस्तान प्रीफैब, ब्रिज ऐंड रूफ कंपनी, स्कूटर्स इंडिया लिमिटेड, एयर इंडिया, हिंदुस्तान न्यूजप्रिंट लिमिटेड, हिंदुस्तान फ्लोरोकार्बन लिमिटेड और कई अन्य कंपनियां शामिल हैं। भूखंड और फैक्टरी परिसंपत्तियां देश के कई हिस्सों में फैली हैं जबकि दफ्तर की ज्यादातर जगह और अपार्टमेंट दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी और मुंबई/ नवी मुंबई में हैं। अब तक दीपम ने केवल 18,095 करोड़ रुपये जुटाए हैं जो विनिवेश के पूरे साल के बजट लक्ष्य का महज 17 फीसदी है।
(साभार- बी एस)
swatantrabharatnews.com
.jpg)
4.jpg)
.jpg)




10.jpg)
![अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस- 01मई 2018: मजदूरों का शोषण - मानवता का उपहास - [रेल सेवक संघ]](http://www.swatantrabharatnews.com/uploads/images/10985359_750498361715733_4743675663368666332_n.jpg)
15.jpg)