लहू बोलता भी है: जंगे आजादी ए हिन्द के एक और मुस्लिम किरदार- सैयद अकबर जहां अकबराबादी
आइए, जानते हैं, जंगे आजादी ए हिन्द के एक और मुस्लिम किरदार- सैय्यद अकबर जमां अकबराबादी को_____
सैय्यद अकबर जमां अकबराबादी अंग्रेज़ों ने सैय्यद अकबर को भी बाग़ी क़रार दिया। मुक़दमा चला और कालापानी की सज़ा हुई। आपको भी जज़ीरा-ए-अण्डमान भेज दिया गया। जहां आप बीस बरस रहे। चूंकि आप सरहद के मुजाहेदीने-आज़ादी से बहुत पहले कालापानी भेजे गये थे, इसलिए बाद में कालापानी पहुंचनेवाले मुजाहेदीने-आज़ादी के लिए आप बहुत बड़े मुआविन साबित हुए।
शुरू में आपको पांच रुपया माहवार की नौकरी दी गयी। बाद में सत्तर रुपये माहवार मिलने लगे थे। इसलिए आप बहुत खुशहाल हो गये थे। आपने मौलाना मोहम्मद जाफ़र थानेसरी, मौलाना यहिया और दूसरे मुजाहेदीने-आज़ादी की बड़ी ख़िदमत की और हर तरह के मुआमलात में उनके मददगार रहे। बीस साल के बाद आपकी रिहाई का हुक़्म हुआ। आप तब अपने वतन आगरा लौट आये और ट्यूशन पर जिंदगी गुजारते रहे। उम्र के आखि़री दौर में अकबर नाबीना हो गए थे और सन् 1904 में आपका इंतक़ाल हो गया। आपको आगरा में दफ़न कर दिया गया।
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