
मानसून में भूस्खलन और बाढ़ से ऐसे बचें !
उत्तरकाशी (उत्तराखंड): सुनील कुमार महला, फ्रीलांस राइटर, कालमिस्ट व युवा साहित्यकार ने आज की विशेष प्रस्तुति में प्रस्तुत 'लेख', जिसका शीर्षक है- "मानसून में भूस्खलन और बाढ़ से ऐसे बचें !", में बताया है कि, 'जुलाई' बारिश का महीना है और इन दिनों देश में जगह-जगह खूब मानसून बरस रहा है।
बारिश से इन दिनों विशेषकर पहाड़ी राज्यों में (उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश) में तबाही का आलम है।
मीडिया रिपोर्ट्स बतातीं हैं कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में 1 और 2 जुलाई के लिए ऑरेंज अलर्ट घोषित किया गया है, जिसमें मौसम विभाग ने आगाह किया है कि संवेदनशील या निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को जलभराव और भूस्खलन का खतरा है। पहाड़ों पर बादलों ने तबाही मचा रखी है तो मैदानों में भी हाल बुरा है।
केरल और झारखंड में भी बारिश ने कहर बरपाया है और इससे आम जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
हिमाचल प्रदेश के मंडी में अनेक घर खतरे की जद में आ गए हैं तो वहीं भूस्खलन भी हुआ है। हिमाचल प्रदेश में पशुशालाएं भी ध्वस्त हुईं बता रहे हैं।
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण बाढ़ की समस्या पैदा हो गई है तथा भूस्खलन के कारण अनेक रास्ते बंद हो चुके हैं।
उत्तराखंड में बारिश के कारण 24 घंटे के लिए चारधाम यात्रा रोकी गई है। ऐसे में जो यात्री ऋषिकेश पहुंच चुके उन्हें वहीं रोका जा रहा है। आगे की यात्रा को निकले यात्रियों को भी सुरक्षित स्थानों पर रोका जा रहा है। वहीं उत्तरकाशी में बड़कोट-यमुनोत्री मार्ग पर बादल फट गया तथा बलिगढ़ में निर्माणाधीन होटल साइट पर काम कर रहे 9 मजदूर लापता हो गए हैं।
पुलिस के साथ एसडीआरएफ तथा एनडीआरएफ की टीमें मौके पर सर्च ऑपरेशन कर रही हैं।बादल फटने के चलते यमुनोत्री मार्ग भी प्रभावित हुआ है, तथा मौसम विभाग की ओर से ऋषिकेश, रुड़की, रानीखेत, देहरादून, उत्तरकाशी सहित कई जिलों में अगले 5 दिन के लिए भारी बारिश का अलर्ट है।
मीडिया रिपोर्ट्स बतातीं हैं कि, यमुनोत्री रूट पर बादल फटने से 2 मजदूरों की मौत हो गई।
मौसम विभाग के मुताबिक दिल्ली के पूर्वी, पश्चिमी, दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी इलाकों में बारिश दर्ज की गई।
अगले 7 दिनों के दौरान गोवा, मध्य महाराष्ट्र, गुजरात में अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना जताई गई है।
जहां उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर भारी बारिश होने की संभावना जताई गई है। जुलाई के दौरान पंजाब, हरियाणा में बारिश का अलर्ट है, वहीं 3 और 4 जुलाई को पश्चिमी राजस्थान, पूर्वी राजस्थान, हिमाचल प्रदेश में भी बहुत भारी बारिश होने की संभावना है।
इतना ही नहीं, विदर्भ, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, पश्चिम बंगाल और सिक्किम, बिहार, मध्य प्रदेश में बहुत भारी बारिश का अलर्ट है।
इधर हाल ही में जमशेदपुर जिले के कोवली थाना क्षेत्र स्थित लव कुश आवासीय विद्यालय में उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब लगातार हो रही भारी बारिश के कारण विद्यालय परिसर जलमग्न हो गया और स्कूल के अंदर मौजूद 162 बच्चे पानी में फंस गए।
जैसे ही प्रशासन को इस स्थिति की जानकारी मिली, जमशेदपुर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया और सभी बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला।
इधर, मनाली में हाईवे का एक हिस्सा पानी में बह गया, तथा राजस्थान के एक सरकारी अस्पताल में भी पानी घुस गया।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि इन दिनों मानसून लगभग-लगभग पूरे देश को कवर कर चुका है। पिछले एक हफ्ते से लगातार बारिश की वजह से कई राज्यों में बाढ़ जैसे हालात बन गए है।
पाठकों को बताता चलूं कि मौसम विभाग (आइएमडी) ने आधिकारिक तौर पर पूरे देश में दक्षिण-पश्चिम मानसून के सक्रिय होने की घोषणा कर दी- जो कि इसकी सामान्य तिथि 8 जुलाई से 9 दिन पहले है।
सच तो यह है कि उत्तर से लेकर दक्षिण और पहाड़ से लेकर मैदान तक भारी बारिश के बीच हर ओर उफनते सैलाब की तस्वीरें आ रही हैं। देश के कई प्रमुख शहरों में सड़कें पानी से लबालब भरी हैं, रास्ते जाम हो गये हैं तथा पहाड़ों में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं सामने आई हैं।
कहना ग़लत नहीं होगा कि भूस्खलन और बाढ़ से जानमाल का भारी नुकसान हुआ है। मौसम विभाग ने जुलाई और अगस्त में और अधिक बारिश का अनुमान जताया है, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है।
अंत में यही कहूंगा कि, पिछले कुछ सालों से देश ही नहीं पूरे विश्व में जलवायु परिवर्तन एक कटु यथार्थ है। यह सब कहीं न कहीं मानवीय गतिविधियों का ही परिणाम है कि आज हम सभी जलवायु परिवर्तनों का लगातार सामना कर रहे हैं।
यह ठीक है कि मानव बारिश को तो नहीं रोक सकता है लेकिन तबाही को समय रहते एहतियात बरतकर रोका जा सकता है अथवा काफी हद तक कम किया जा सकता है। आधुनिक तकनीक और उपकरणों का इस्तेमाल करके इसे कम किया जा सकता है। लेकिन प्रशासन व आम आदमी तब चेतता है,जब तक बहुत देर हो चुकी होती है। बाढ़ व भूस्खलन से निपटने के लिए समय रहते राहत और बचाव कार्य का प्रशिक्षण दिया जाना भी बहुत जरूरी है।
वास्तव में कहना ग़लत नहीं होगा कि बाढ़ और भूस्खलन से बचाव के लिए, सबसे महत्वपूर्ण है कि हमें इन प्राकृतिक आपदाओं के प्रति जागरूक रहने की जरूरत है और उनसे बचने के लिए आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता है। बाढ़ से बचाव के लिए हमें बाढ़ प्रणव क्षेत्रों में ऊंचे स्थानों पर रहना चाहिए। आपातकालीन किट जैसे कि सूखा भोजन, पानी, दवाएं, टॉर्च, रेडियो और अन्य आवश्यक चीजें हमारे पास मौजूद होनी चाहिए। इतना ही नहीं हमें अपने परिवार के सभी सदस्यों को निकटतम आश्रय/पक्के मकान तक जाने वाले सुरक्षित मार्गों की जानकारी होनी चाहिए तथा बारिश के दौरान समय-समय पर स्थानीय अधिकारियों से संपर्क बनाए रखना बहुत ही महत्वपूर्ण और आवश्यक है।
बाढ़ की चेतावनी और सलाह के लिए स्थानीय रेडियो/टीवी सुनना चाहिए अथवा अखबार आदि पढ़ना चाहिए। बाढ़ के समय बहते पानी, बिजली के तारों से, सांपों आदि से सावधान रहना चाहिए।
भूस्खलन (लैंडस्लाइड) से बचाव के लिए हमें यह चाहिए कि हम नालों में कूड़ा-कचरा, पत्ते, प्लास्टिक की थैलियां, मलबा आदि न जमा होने दें और नालों को अच्छी तरह से साफ और स्वच्छ रखें।
घरों, दुकानों,रहवास आदि को भूकंप-रोधी बनाया जाना चाहिए ताकि भूस्खलन के समय कम नुकसान हो अथवा नुकसान हो ही नहीं।
अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए, ताकि उनकी जड़ें मिट्टी को पकड़ सकें। इतना ही नहीं,खतरे वाले क्षेत्रों से बचना चाहिए।
अचानक बाढ़ और/या भूस्खलन के जोखिम वाले क्षेत्रों से दूर रहना चाहिए।
भूस्खलन से सुरक्षा के लिए हमें यह चाहिए कि हम भूस्खलन के विभिन्न संकेतों जैसे कि दरारों, चट्टानों के गिरने, पेड़ों के टूटने या जमीन में पड़ने वाली दरारों पर विशेष ध्यान दें और भूस्खलन के रास्तों से हमेशा स्वयं को और पशुओं को दूर रखें।
भूस्खलन के बाद, हमें यह चाहिए कि हम तुरंत किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाएं। इसके साथ ही भूस्खलन के बारे में तुरंत स्थानीय अधिकारियों को सूचित करना चाहिए ताकि बचाव कार्य किए जा सकें।
याद रखें कि हमारी सतर्कता और जागरूकता से बहुत कुछ संभव हो सकता है।
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