
लाइव 'ला': कोर्ट ने 'सांप्रदायिक ट्वीट' को लेकर कपिल मिश्रा के खिलाफ दर्ज FIR में अपर्याप्त जांच के लिए लगाई दिल्ली पुलिस को फटकार: दिल्ली हाईकोर्ट
नई दिल्ली (लाइव 'ला'): दिल्ली कोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) मंत्री कपिल मिश्रा के खिलाफ 2020 में दर्ज FIR के संबंध में अपर्याप्त जांच के लिए दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई।
मिश्रा ने ट्वीट किया था कि, "आप और कांग्रेस पार्टियों ने शाहीन बाग में "मिनी पाकिस्तान" बनाया है और तत्कालीन विधानसभा चुनाव "भारत और पाकिस्तान" के बीच मुकाबला होगा।
राउज़ एवेन्यू कोर्ट के एसीजेएम वैभव चौरसिया ने कहा कि, "मिश्रा के ट्विटर हैंडल के संबंध में साक्ष्य एकत्र करने के लिए पिछले साल मार्च से कोर्ट द्वारा अथक प्रयास किए गए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।"
जज ने कहा कि, 08 अप्रैल को वर्थी डीसीपी की रिपोर्ट ने आश्वासन दिया था कि ट्विटर (X) से रिपोर्ट प्राप्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
कोर्ट ने कहा, “जांच एजेंसी की ओर से आगे की जांच के निर्देशों का पालन करने के लिए कोई भी मौजूद नहीं है। इस न्यायालय के निर्देशों के संबंध में जांच एजेंसी के लापरवाह रवैये पर कोई सख्त टिप्पणी किए जाने से पहले यह न्यायालय मामले की स्थिति और जांच एजेंसी की ओर से अपर्याप्त स्पष्टीकरण के संबंध में वर्थी पुलिस आयुक्त, दिल्ली पुलिस के संज्ञान में लाने के लिए बाध्य है।”
इसमें यह भी कहा गया कि, यदि किसी अन्य मंत्रालय की सहायता की आवश्यकता होती है तो दिल्ली पुलिस पर्याप्त रूप से सुसज्जित है और इसका सहारा लेने में संकोच नहीं करेगी।
जज ने कहा, "ऊपर उल्लिखित दस तारीखों में से यह न्यायालय केवल 20.03.2025 और 08.04.2025 के आदेश-पत्र और 04.03.2024 के आदेश-पत्र को संलग्न कर रहा है, जिसमें मेरे माननीय पूर्ववर्ती द्वारा आगे की जांच के लिए निर्देश दिए गए, जो दिल्ली पुलिस के योग्य पुलिस आयुक्त और उत्तरी रेंज के योग्य संयुक्त आयुक्त के अवलोकन के लिए पर्याप्त होगा।"
यह देखते हुए कि, मामला पिछले साल मार्च से लंबित था, न्यायाधीश ने कहा कि, मामले में दिल्ली पुलिस जांच करने में विफल रही है या कोई बाधा है, इसकी सूचना न्यायालय को दी जाए। न्यायालय ने कहा, "इस आदेश की प्रति उत्तरी रेंज के योग्य संयुक्त आयुक्त को आवश्यक कार्रवाई करने के लिए भेजी जाए, क्योंकि 20.03.2025 को उनके योग्य कार्यालय को पहले से ही मामले की स्थिति के बारे में अच्छी तरह से जानकारी थी।"
मामले की सुनवाई अब 07 जुलाई को होगी।
मार्च में दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले में मिश्रा के खिलाफ निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। यह तब हुआ जब BJP नेता ने स्पेशल जज द्वारा पारित आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की, जिसमें मामले में उन्हें तलब करने के मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ उनकी पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी गई थी। मिश्रा की पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए स्पेशल जज ने कहा कि, उन्होंने अपने कथित बयानों में 'पाकिस्तान' शब्द का इस्तेमाल बहुत ही कुशलता से किया, ताकि नफरत फैलाई जा सके, चुनाव अभियान में होने वाले सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की परवाह किए बिना केवल वोट हासिल किए जा सकें। मिश्रा के खिलाफ FIR रिटर्निंग ऑफिसर के कार्यालय से एक पत्र प्राप्त होने के बाद दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि, उन्होंने आदर्श आचार संहिता और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन किया। यह आरोप लगाया गया कि, मिश्रा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव, 2020 के संबंध में वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ट्वीट किए। पिछले साल जून में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मिश्रा के खिलाफ समन आदेश पारित किया था, जिसे स्पेशल जज ने बरकरार रखा था। स्पेशल जज ने मिश्रा की इस दलील को खारिज कर दिया था कि, उनके बयान में कहीं भी किसी जाति, समुदाय, धर्म, नस्ल और भाषा का उल्लेख नहीं किया गया, बल्कि एक ऐसे देश का उल्लेख किया गया, जो आरपी अधिनियम की धारा 125 के तहत प्रतिबंधित नहीं है।
ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि, मिश्रा के बयान धर्म के आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देने का एक बेशर्म प्रयास था, जिसमें अप्रत्यक्ष रूप से एक 'देश' का उल्लेख किया गया, जिसे "दुर्भाग्य से आम बोलचाल में" अक्सर एक विशेष धर्म के सदस्यों को दर्शाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
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(समाचार & फोटो साभार: लाइव 'ला')
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