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नई दिल्ली (PIB): आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में "जल आपूर्ति और उपचार पर संशोधित और अद्यतन नियमावली को अंतिम रूप देने" के लिए दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। केंद्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण इंजीनियरिंग संगठन (सीपीएचईईओ) ने जर्मन एजेंसी फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन (जीआईजेड) की सहायता से कार्यशाला आयोजित की। इस दौरान विषय पर व्यापक विचार-विमर्श किया गया और विभिन्न राज्यों के शहरों तथा अन्य हितधारकों से फीडबैक/सुझाव/टिप्पणियां प्राप्त कीं।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव श्री मनोज जोशी ने की। सीपीएचईईओ के सलाहकार (पीएचईई) डॉ. एम. धीनाधयालन ने स्वागत भाषण दिया और अपर सचिव तथा राष्ट्रीय मिशन निदेशक (अमृत) श्रीमती डी थारा ने अपना संबोधन दिया।
विज्ञान भवन, नई दिल्ली में सचिव, एचयूए द्वारा "जला आपूर्ति और उपचार पर संशोधित और अद्यतन मैनुअल को अंतिम रूप देने" के लिए राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन
वर्ष 1999 में प्रकाशित जल आपूर्ति और उपचार पर मौजूदा नियमावली और वर्ष 2005 में प्रकाशित संचालन और रखरखाव नियमावली का उपयोग विभिन्न कार्यक्रमों जैसे अमृत, अमृत 2.0 और शहरी जल आपूर्ति प्रणालियों की योजना, डिजाइन और कार्यान्वयन के लिए मार्गदर्शन दस्तावेजों के रूप में किया जाता है।
प्रौद्योगिकी में प्रगति को ध्यान में रखते हुए और शहरी जल आपूर्ति क्षेत्र में प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने के लिए, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने सलाहकार (पीएचईईई), केंद्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण इंजीनियरिंग संगठन (सीपीएचईईओ) की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन करके और जर्मन एजेंसी फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन (ड्यूश गेसेलशाफ्ट फर इंटरनेशनेल जुसममेनारबीट (जीआईजेड) जीएमबीएच के साथ समन्वय करके मौजूदा जल आपूर्ति और उपचार नियमावली को संशोधित और अद्यतन करने का निर्णय लिया है।
जर्मन एजेंसी फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन ने नियमावली का मसौदा तैयार करने के लिए वापकोस को अध्ययन टीम के रूप में नियुक्त किया। मसौदा नियमावली जीआईजेड अध्ययन टीम ने तीन भागों - (क) इंजीनियरिंग, (ख) संचालन और रखरखाव और (ग) प्रबंधन के रूप में तैयार किया गया है। इसे विशेषज्ञ समिति द्वारा अनुमोदित किया गया और अमेरिकी जल विशेषज्ञों द्वारा समीक्षा की गई है।
नियमावली में परिचालन क्षेत्रों और जिला मीटर क्षेत्रों (डीएमए) के आधार पर जल आपूर्ति प्रणाली की योजना और डिजाइन के लिए दिशानिर्देश प्रदान किए गए हैं जिससे जल आपूर्ति सेवाओं में सुधार किया जा सके और धीरे-धीरे नल से जल सुविधा के साथ 24 घंटे जल की आपूर्ति में परिवर्तित किया जा सके। नियमावली जीआईएस हाइड्रोलिक मॉडलिंग के आधार पर जल आपूर्ति प्रणाली की योजना, डिजाइन, संचालन और रखरखाव और प्रबंधन के लिए दिशानिर्देशों की सुविधा भी प्रदान करता है। इस प्रकार, नियमावली में कच्चे पानी की गुणवत्ता के लिए जल उपचार प्रौद्योगिकियां, जल गुणवत्ता निगरानी प्रोटोकॉल, स्मार्ट जल समाधान, वित्तीय और परिसंपत्ति प्रबंधन सहित संचालन और रखरखाव तथा प्रबंधन के लिए दिशा-निर्देश, हितधारक जुड़ाव, सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) और जलवायु जल आपूर्ति प्रणाली आदि शामिल हैं।
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव श्री मनोज जोशी ने देश के शहरी क्षेत्रों में प्रत्येक घर में भारत मानक ब्यूरो (बीआईएस) के जल गुणवत्ता मानकों को पूरा करते हुए नल से जल सुविधा के साथ सुरक्षित और विश्वसनीय जल उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने आवासों द्वारा वहन की जाने वाली लागत जैसे भंडारण सुविधाओं या आरओ जैसे घरेलू उपचार संयंत्रों आदि के रूप में खर्च की गई बड़ी राशि के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि घरों में 24 घंटे जल की आपूर्ति की जानी चाहिए ताकि किसी अतिरिक्त भंडारण की आवश्यकता न हो क्योंकि अतिरिक्त भंडारण से वित्तीय हानि होती है। श्री जोशी ने उल्लेख किया कि नवीनतम प्रौद्योगिकियों और डिजाइन प्रक्रियाओं के साथ 25 वर्षों के बाद नियमावली का संशोधन राज्यों और शहरी स्थानीय निकायों के लिए मददगार साबित होगा।
विशेष संबोधन के दौरान, मंत्रालय में अपर सचिव और राष्ट्रीय मिशन निदेशक (अमृत) श्रीमती डी थारा ने झुग्गी झोपड़ी क्षेत्रों के लिए जल आपूर्ति प्रणाली की डिजाइनिंग, मानव संसाधन का मानचित्रण और जल क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण को शामिल करने का सुझाव दिया।
जर्मन एजेंसी फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन (जीआईजेड) और भारत यूरोपीय संघ जल साझेदारी की परियोजना निदेशक और सुश्री लौरा सस्टरसिक ने अपने संबोधन के दौरान नियमावली के दायरे में जेंडर के पहलुओं पर भी बल दिया क्योंकि जल की कमी का सर्वाधिक असर महिलाओं पर पड़ता हैं।
सम्मेलन में तकनीकी प्रमुखों, मुख्य अभियंताओं, नगर अभियंताओं और शहरों में जल आपूर्ति से संबंधित वरिष्ठ इंजीनियरों, लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभागों/निगमों/बोर्डों/जल निगमों, विशेषज्ञों, सार्वजनिक निजी भागीदारों, विनिर्माण फर्मों और सलाहकारों ने भाग लिया। इस दौरान लगभग 300 प्रतिभागी मौजूद रहें।
नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आवास और शहरी मामलों के सचिव ने “जल आपूर्ति और उपचार पर संशोधित और अद्यतन नियमावली को अंतिम रूप देने” के लिए राष्ट्रीय कार्यशाला की अध्यक्षता की।
 
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