गलन बढ़ी - अलाव नदारद। सुने पड़े गली-चौराहे......
संत कबीर नगर (उ• प्र•): विगत एक सप्ताह से लगातार गिर रहा पारा और सर्द हवाओ ने आम जन-जीवन मुश्किल कर दिया है। खासकर वह गरीब तबका जो झुग्गी झोपड़ियों अथवा खुले आसमान के नीचे जीवन-यापन कर रहे है।
इस कड़कड़ाती ठंड में भी गांव तो दूर शहर में भी अलाव की व्यवस्था नहीं की गई है। जहाँ की भी गयी है वो नाकाफी है। वैसे जिले के नगर-पालिका व नगर-पंचायतों के जिम्मेदार जगह-जगह अलाव जलवाने का दावा कर रहे है। यह अलग बात है कि कहीं अलाव के दर्शन नहीं हो रहे है।
ज्ञातब्य हो कि दिसंबर के दूसरे पखवारे में ठंड कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है। विगत एक सप्ताह से कोहरा तो नही है, लेकिन ठंडी हवाओं के कारण गलन काफी बढ़ी है। परिणामस्वरूप दिन ढलने के साथ ही सड़कों पर सन्नाटा सा पसर जा रहा है। शहर में बड़ी संख्या में लोग दिन भर मेंहनत मजदूरी करते है और रात के समय रैनबसेरा, स्टेशन अथवा सड़क किनारे आदि जगहों पर रात गुजारते है।
इन संसाधन विहीन लोगों पर ठंड का सबसे अधिक प्रभाव दिख रहा है। रिक्शा चालक और आटो चालकों पर खाशतौर पर ठंड सितम कुछ ज्यादा है। जो आधी रात तक रेलवे स्टेशन और बाईपास पर सवारी की तलाश में भटकते रहते है। दुसरी ओर तमाम यात्री ट्रेन और बस के अभाव में प्लेटफार्म अथवा यात्री शेड में रात गुजारते है।
अस्पतालो में भी अधिक भीड़ रहती है। इन स्थानो पर भी अलाव की उचित व्यवस्था नहीं है। जबकि अलाव के नाम पर लाखों का वारा न्यारा हो रहा है। दुसरी ओर जिम्मेदारों का कहना है कि गाँव-शहर में जगह-जगह पर अलाव जलाये जा रहे है। सार्वजनिक स्थलों व वह स्थान जहां भीड़ रहती है का विशेष ख्याल रखा जा रहा है।
जबकि लोगों का कहना है कि अलाव कागजो में जल रहे है, आम जन की किसी को कोई चिन्ता नहीं है।
नवनीत मिश्र, संवाददाता
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