दूरसंचार प्रौद्योगिकी और मानकीकरण गतिविधियों में संयुक्त अध्ययन और तकनीकी योगदान पर सहयोग के लिए टीईसी ने आईआईटी मुम्बई के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए: संचार मंत्रालय
6जी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई)-संचालित नेटवर्क और अगली पीढ़ी के दूरसंचार मानकीकरण को आगे बढ़ाने के लिए रणनीतिक साझेदारी
कोर नेटवर्क, उपग्रह संचार और दूरसंचार सिग्नलिंग प्रोटोकॉल में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए सहयोग
नई दिल्ली (PIB): भारत सरकार के दूरसंचार विभाग की तकनीकी शाखा, दूरसंचार इंजीनियरिंग केंद्र ने उन्नत दूरसंचार प्रौद्योगिकियों और वैश्विक मानकीकरण गतिविधियों में संयुक्त अध्ययन, अनुसंधान और तकनीकी योगदान पर सहयोग करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुम्बई के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
इस साझेदारी का उद्देश्य भारत-विशिष्ट मानकों और परीक्षण संरचनाओं को विकसित करना, 6जी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), एनजीएन, वीओआईपी जैसी भविष्य की नेटवर्क तकनीकों का पता लगाना और आईटीयू-टी (अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ - दूरसंचार मानकीकरण सेक्टर) अध्ययन समूहों में भारत की भागीदारी को बढ़ाना है।
दूरसंचार इंजीनियरिंग केंद्र के उप महानिदेशक (मोबाइल प्रौद्योगिकी) श्री अमित कुमार श्रीवास्तव और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुम्बई के डीन (आर एंड डी) प्रो. सचिन पटवर्धन द्वारा 7 नवंबर, 2025 को वरिष्ठ उप महानिदेशक एवं प्रमुख (दूरसंचार इंजीनियरिंग केंद्र) श्री सैयद तौसीफ अब्बास, उप महानिदेशक (डब्ल्यूआर टीईसी) मुंबई श्री जितेंद्र बी. चव्हाण और ईई विभाग, आईआईटीबी, आईआईटी मुम्बई प्रो. प्रसन्ना एस. चापोरकर की उपस्थिति में इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
यह साझेदारी टीईसी के लिए अगली पीढ़ी के दूरसंचार और मानकीकरण गतिविधियों पर आईआईटी मुम्बई के साथ मिलकर काम करने के लिए एक औपचारिक ढांचा तैयार करती है।
सहयोग के प्रमुख क्षेत्र:
- 6जी: 6जी आर्किटेक्चर और सक्षम प्रौद्योगिकियों का अध्ययन, अनुसंधान, पूर्व-मानकीकरण अध्ययन और 3 जीपीपी एवं संबंधित वैश्विक मंचों में मानकीकरण गतिविधियों में सक्रिय योगदान।
- कोर नेटवर्क: दूरसंचार कोर नेटवर्क में संयुक्त अध्ययन और तकनीकी योगदान।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई): दूरसंचार में एआई के क्षेत्र में संयुक्त अध्ययन और तकनीकी योगदान तथा भविष्य की 6जी प्रणालियों में एआई -नेटिव क्षमताओं को साकार करने की दिशा में एक रोडमैप के साथ इंटेलिजेंट नेटवर्क, स्वचालन और पूर्वानुमानित रखरखाव के लिए एआई -संचालित दूरसंचार अनुप्रयोगों का विकास।
- उपग्रह संचार प्रणालियां: सुदूर संवेदन और ग्रामीण संपर्क के अनुप्रयोगों पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्वदेशी, कम लागत वाले उपग्रह संचार टर्मिनलों का डिजाइन और विकास।
- संकेतन आवश्यकताएं और प्रोटोकॉल: एनजीएन, वीओआईपी, आईएमटी -2020/2030 और सिग्नलिंग आधारित आर्किटेक्चर सहित दूरसंचार नेटवर्क के लिए सिग्नलिंग संबंधी आवश्यकताओं और प्रोटोकॉल में संयुक्त अध्ययन और तकनीकी योगदान।
इस साझेदारी का उद्देश्य स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास में तेजी लाना और आईटीयू तथा 3जीपीपी जैसे वैश्विक मानकीकरण निकायों में भारत के योगदान को मजबूत करके वैश्विक मानकीकरण प्रक्रियाओं में भारत के प्रभाव को बढ़ाना है।
यह सहयोग दूरसंचार क्षेत्र में स्वदेशी अनुसंधान, डिजाइन और विनिर्माण को मजबूत करके आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाएगा - भारत-विशिष्ट मानकों, परीक्षण ढांचों और घरेलू समाधानों का विकास करेगा जो राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देंगे, महत्वपूर्ण संचार इंफ्रास्ट्रक्चर को सुरक्षित करेंगे और आयात पर निर्भरता को कम करेंगे।
टीईसी के बारे में
दूरसंचार इंजीनियरिंग केंद्र (टीईसी), भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (डीओटी) की तकनीकी शाखा है। टीईसी भारत में दूरसंचार उपकरणों और नेटवर्क के लिए तकनीकी मानकों, विनिर्देशों और अनुरूपता मूल्यांकन से जुड़ी आवश्यकताओं को तैयार करता है, जिससे अंतर-संचालनीयता, गुणवत्ता और वैश्विक सर्वोत्तम प्रणालियों के साथ तालमेल सुनिश्चित होता है। टीईसी आईटीयू-टी, आईटीयू-आर जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करता है और वैश्विक मानकीकरण गतिविधियों के लिए राष्ट्रीय कार्य समूहों का समन्वय करता है।
आईआईटी मुम्बई के बारे में
भारत सरकार द्वारा प्रतिष्ठित संस्थान के रूप में मान्यताप्राप्त भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुम्बई (आईआईटी बॉम्बे) अपनी उच्च-गुणवत्ता वाली शिक्षा और विज्ञान, इंजीनियरिंग, डिजाइन, प्रबंधन और मानविकी के विभिन्न क्षेत्रों में अत्याधुनिक अनुसंधान के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। एनजीएन, दूरसंचार कोर नेटवर्क, 5जी/6जी प्रौद्योगिकियों, दूरसंचार में कृत्रिम बुद्धिमत्ता संबंधी अनुप्रयोगों और प्रसारण में संयोजन सहित दूरसंचार नेटवर्क के लिए सिग्नलिंग से जुड़ी आवश्यकताओं और प्रोटोकॉल में इसकी मजबूत शैक्षणिक और अनुसंधान क्षमताएं हैं।
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