अअस्तित्व सिद्धांत से उपजा खतरा: भगदड़ की सच्चाई
उत्तरकाशी (उत्तराखंड): सुनील कुमार महला, फ्रीलांस राइटर, कालमिस्ट व युवा साहित्यकार ने आज की 'विशेष' प्रस्तुति में "अअस्तित्व सिद्धांत से उपजा खतरा" शीर्षक से एक "विशेष आलेख" प्रस्तुत किया है, जिसे मूल रूप में निचे प्रस्तुत किया जा रहा है।
अअस्तित्व सिद्धांत से उपजा खतरा:
एकबार फिर वही हुआ जो वास्तव में होना ही नहीं चाहिए था। आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के काशीबुग्गा स्थित श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में 01 नवंबर 2025 शनिवार को भगदड़ में कुल नौ लोगों की मौत हो गई और इस दुर्घटना में 13 लोग घायल हो गए। मृतकों में 8 महिलाएं और एक बच्चा शामिल हैं, जो बंधक बने हुए हैं, दरअसल ये बहुत ही चौंकाने वाली घटना है।
जानकारी के अनुसार श्री वेंकटेश्वर मंदिर में सुबह करीब 11:30 बजे भगदड़ की घटना हुई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मंदिर में करीब 2500 श्रद्धालुओं के पहुंचने की व्यवस्था है, लेकिन वहां इस क्षमता से पांच गुना ज्यादा लोग अचानक पहुंच गए। इस दौरान लोगों की धक्का-मुक्की से मंदिर की रेलिंग टूट गई और भगदड़ मच गई।
दरअसल, एकादशी के दिन काशीबुग्गा स्थित वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी थी।
अधिकारियों का मानना है कि, भीड़ प्रबंधन में उथल-पुथल, सुरक्षा योजना का उद्घाटन, चल रहे निर्माण कार्य और आधिकारिक मंज़ूरी का उद्घाटन, ये सब मिलकर इस त्रासदी/हादसे का कारण बने।
जानकारी के अनुसार मंदिर के अंदर प्रवेश द्वार से ही बाहर आने और अंदर जाने का रास्ता था,जिससे जाम की स्थिति पैदा हुई और ऊपरी-बिंदु और बढ़ गई।
मीडिया रिपोर्टों से पता चला है कि, जिस स्थान पर तीर्थयात्री एकत्र हुए थे, वहां दर्शन हुए थे, जिससे स्थान कम हो गए और भीड़ बढ़ गई। बताया जा रहा है कि मंदिर एक निजी तीर्थस्थल था, जो धर्मस्व विभाग के अधीन पंजीकृत नहीं था और कार्यक्रम आयोजकों के पास इतनी अधिक भीड़ थी कि इस कार्यक्रम के बारे में राज्य सरकार को भी पहले सूचित नहीं किया गया था।
यह बहुत उलझा हुआ है कि, इस आश्रम में एक किसान व अन्य की मौत हो गई। मैं परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।' इस हादसे पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि मृतकों के अवशेषों को 2-2 लाख रुपये और शहीदों को 50-50 हजार रुपये दिए जाने की घोषणा की गई है।
किसी भी तरह की दहशत, अफवाह या दिवालियापन की स्थिति में एक ऐसी स्थिति होती है जब बड़ी संख्या में लोग अचानक किसी भय, अफवाह या दिवालियापन की स्थिति में एक साथ आ जाते हैं। यह भीड़ के नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं, जिससे भ्रम और दबाव पैदा होता है। भगदड़ मानव जीवन एवं सामाजिक व्यवस्था के लिए अत्यंत खतरनाक परिस्थिति उत्पन्न होती है।
यहां यह कहा गया है कि, पिछले बीस-पच्चीस तीर्थों के दौरान मंदिर, विभिन्न धार्मिक आयोजनों और मेलों में हुई भगदड़ की घटनाओं में सैकड़ों लोगों की जान गई है और इसमें निष्कर्ष निकाला गया है कि ज्यादातर भीड़-नियंत्रण की कमी, स्मारक मित्र सुरक्षा, सांकरे स्थल, बहुत अधिक भीड़ के अवशेष, अभिलेख और साहित्यिक परंपराएं शामिल हैं।
असल में, हमारा देश एक ऐसा देश है जहां हर साल विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। फिर वह कुंभ मेला हो, तीर्थों में दर्शन हो, तीज-त्योहारों का कोई अवसर हो या सत्संग संगत, हम भारतीय बहुत आस्थावान लोग हैं। ऐसे अवसरों पर बार-बार प्रबंधन की कमी,साबित होता है और बहुत सारी सी घटनाएं इसका प्रत्यक्ष प्रमाण भी हैं।
यह बहुत ही दुखद बात है कि, साल-दर-साल मची इन भगदड़ों में अनगिनत जिंदगियां चली जाती हैं, महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
हाल ही में, इस साल यानि कि साल 2025 की ही बात करें तो 8 जनवरी 2025 को भगवान के श्री वेंकटेश्वर मंदिर में, 29 जनवरी 2025 (प्रयागराज) में महांभ के संगम क्षेत्र में 'अमृत स्नान' के दिन, 15 फरवरी 2025 को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शामिल होने के लिए कुंभ के होद के मंदिर, और 3 मई 2025 को श्री वेंकटेश्वर मंदिर के मंदिर में पूजा-अर्चना की जाएगी। इस दौरान भगदड़ की घटनाएं हुईं और विशेष रूप से त्रिपुरा आंध्र प्रदेश में कुल 6, महाकुंभ में 30, नई दिल्ली स्टेशन पर 18 और गोवा में 6 लोगों की मौत हुई।
इससे पहले के वर्षों में भी अब तक भगदड़ की कई घटनाएं हो चुकी हैं, और सबसे दुख की बात यह है कि हम पूर्व में हुई घटनाएं / हाडसन से कोई भी सबक नहीं लेते हैं। जब भी कोई घटना घटती है, तो एक बार जोरदार बारिश मचती है और बाद में स्थिति ढाक के तीन पात वाली हो जाती है।
अंत में संक्षेप में यही कहा गया है कि हमारे देश में भगदड़ की घटनाएं अक्सर विभिन्न धार्मिक आयोजन, त्योहार, रेल या सड़क पर सार्वजनिक और भीड़भाड़ वाले स्थान होते हैं। ये दुर्घटनाएं कहीं न कहीं प्रबंधन की कमी, अफवाहों और सुरक्षा इंतज़ामों की कमी के कारण बढ़ रही हैं। हाल की कई घटनाओं में यह दर्शाया गया है कि हमारे यहां साउदीमी उत्पादों के लिए भीड़ पर रोक और बिक्री नहीं हुई है।
इसी साल 8 जनवरी को बगदाद के बाद आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे।
हालाँकि इन उपायों को भी लागू नहीं किया गया। ऐसे में असल में असलियत से हमें सबक लेना चाहिए कि भीड़ प्रबंधन एक गंभीर जिम्मेदारी है। सरकार, पुलिस और प्रशिक्षकों को सामूहिक सुव्यवस्थित प्रवेश-निकास मार्ग बनाना चाहिए। इतना ही नहीं, लोगों में भी संयम और अनुशासन का भाव भी बहुत जरूरी और आवश्यक है। प्रौद्योगिकी का उपयोग भीड़ की निगरानी और दिशा-निर्देश देने में सहायक साबित हो सकता है। प्रशिक्षण प्राप्त सुरक्षा कर्मियों को हर छोटे-बड़े बड़े आयोजन का हिस्सा होना चाहिए। हर जगह पर सुरक्षा मानकों का पालन अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए। संयम और संयम तो बनाए रखना जरूरी है।
दूसरे शब्दों में कहा गया है तो संयम, अनुदेशक और संत से ही भगदड़ जैसा कहा जा सकता है। लाउडस्पीकर से लगातार दिशा- निर्देश ताकि अफवाहें न फैले। दूसरे शब्दों में कहें तो संचार व्यवस्था मजबूत होनी चाहिए, ताकि सूचना तुरंत पहुंचाई जा सके।
सबसे बड़ी बात यह है कि प्रशासन को सुरक्षा प्रबंधन, बैरिकेडिंग और चिकित्सा सहायता की व्यवस्था पहले से ही सुनिश्चित करनी चाहिए।
यह कहना गलत नहीं होगा कि, भीड़ प्रबंधन के लिए प्रभावी रणनीतियाँ अपनाना किसी भी बड़े समारोह या विरोध स्थिति में जन सुरक्षा सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है।
इवेंट स्थल का पूर्व सर्वेक्षण और योजना बनानी चाहिए, ताकि जोखिमों की पहचान की जा सके।
सुपरमार्केट और मॉनिटरिंग सिस्टम का उपयोग भीड़ के रुख पर नज़र रखने में मदद करता है।
आपातकालीन विक्रेता योजना पहले से तैयार रहनी चाहिए और लोगों को इसके बारे में समझाना चाहिए।
टिकटिंग या प्रवेश प्रणाली को नियंत्रित और सीमित रखा जाना चाहिए ताकि संख्या अधिक न हो। साथ ही, प्रशासन और नियोक्ताओं में समन्वय होना बहुत महत्वपूर्ण और आवश्यक है। स्थानीय स्वयंसेवकों और पुलिस का सहयोग लेकर स्थिति पर मानव और संयमित नियंत्रण बनाए रखा जा सकता है।
'भगदड़', सामूहिक भय और असंगठित व्यवहार का अर्थ है। चूँकि भगदड़ निषेध के लिए सामाजिक जागरूकता और जनता की समझदारी बहुत ही महत्वपूर्ण और आवश्यक है, तभी हम भगदड़ जैसे त्रासाडियन्स को रोक सकते हैं।
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