
लाइव लॉ: District Judge Direct Appointment के लिए 7 साल की प्रैक्टिस 'निरंतर' होनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली (लाइव लॉ): लाइव लॉ में गत 09 अक्टूबर 2025 को "District Judge Direct Appointment के लिए 7 साल की प्रैक्टिस 'निरंतर' होनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट" शीर्षक से खबर प्रकाशित की है, जिसमें बताया गया है कि,
"सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिला जज के रूप में सीधी नियुक्ति के लिए संविधान के अनुच्छेद 233(2) के तहत निर्धारित वकील के रूप में 7 साल की प्रैक्टिस के आदेश पर विचार करते समय प्रैक्टिस में ब्रेक को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि आवेदन की तिथि तक 7 साल की प्रैक्टिस "निरंतर" होनी चाहिए। यह टिप्पणी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस अरविंद कुमार, जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस के विनोद चंद्रन की 5 जजों की पीठ ने की।
पीठ ने यह निष्कर्ष निकालते हुए कहा कि न्यायिक अधिकारी, जिसके पास वकील और जज दोनों के रूप में 7 साल का संयुक्त अनुभव है, बार की रिक्ति के विरुद्ध जिला जज के रूप में नियुक्त होने का हकदार है।
पीठ ने टिप्पणी की:
“जहां तक कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट द्वारा प्रस्तुत इस तर्क का प्रश्न है कि यदि किसी उम्मीदवार के प्रैक्टिस के वर्षों में अंतराल भी हो तो ऐसे अंतराल को नज़रअंदाज़ किया जाना चाहिए। ऐसे व्यक्ति, जिनके पास कुल सात वर्षों की प्रैक्टिस है, उसको प्रत्यक्ष जिला जजों के पद पर नियुक्ति के लिए पात्र माना जाना चाहिए, हम उक्त तर्क को स्वीकार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं।”
कोर्ट ने तर्क दिया कि, प्रैक्टिस में इस तरह के अंतराल को दायर मुकदमे से 'विच्छेद' माना जाएगा। इस प्रकार, केवल वे ही विचार के पात्र होंगे, जिनके पास आवेदन की तिथि पर एडवोकेट, वकील (सरकारी वकील और लोक अभियोजक सहित), या न्यायिक अधिकारी, या इन दोनों के संयोजन के रूप में निरंतर अनुभव हो। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि मान लीजिए कि किसी व्यक्ति ने पांच साल वकालत की है। उसके बाद दस साल का ब्रेक लेकर दो साल और वकालत करता है तो उसका कानूनी पेशे से नाता टूट जाएगा। इसलिए हम यह मानने के लिए तैयार हैं कि केवल वे व्यक्ति जो सरकारी वकीलों और सरकारी अभियोजकों सहित एडवोकेट/वकील के रूप में या न्यायिक अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं, जिनके पास आवेदन की तिथि तक एडवोकेट/वकील या न्यायिक अधिकारी या इन दोनों के संयोजन का निरंतर अनुभव है, सीधी भर्ती के माध्यम से जिला जज के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र होंगे।
Case Details : REJANISH K.V. vs. K. DEEPA [Civil Appeal No(s). 3947/2020]
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(समाचार & फोटो साभार- लाइव लॉ)
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