
Live: भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का 79वें स्वतन्त्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संदेश
MESSAGE OF HON'BLE PRESIDENT OF INDIA SMT.DRAUPADI MURMU ON THE EVE OF INDEPENDENCE DAY TO NATION (साभार: DD Sahyadri News / YouTube)
नई दिल्ली (PIB): राष्ट्रपति सचिवालय ने "भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का 79वें स्वतन्त्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संदेश" जारी किया।
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का 79वें स्वतन्त्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संदेश:
मेरे प्यारे देशवासियो,
नमस्कार!
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आप सभी को मैं हार्दिक बधाई देती हूं। हम सभी के लिए यह गर्व की बात है कि स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस, सभी भारतीय उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं। ये दिवस हमें भारतीय होने के गौरव का विशेष स्मरण कराते हैं।
पंद्रह अगस्त की तारीख, हमारी सामूहिक स्मृति में गहराई से अंकित है। औपनिवेशिक शासन की लंबी अवधि के दौरान, देशवासियों की अनेक पीढ़ियों ने, यह सपना देखा था कि एक दिन देश स्वाधीन होगा। देश के हर हिस्से में रहने वाले - पुरुष और महिलाएं, बूढ़े और जवान - विदेशी शासन की बेड़ियों को तोड़ फेंकने के लिए व्याकुल थे। उनके संघर्ष में निराशा नहीं अपितु बलवती आशा का भाव था। आशा का वही भाव, स्वतंत्रता के बाद हमारी प्रगति को ऊर्जा देता रहा है। कल, जब हम अपने तिरंगे को सलामी दे रहे होंगे, तब हम उन सभी स्वाधीनता सेनानियों को भी श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे जिनके बलिदान के बल पर, 78 साल पहले, पंद्रह अगस्त के दिन, भारत ने स्वाधीनता हासिल की थी।
अपनी स्वाधीनता को पुनः प्राप्त करने के बाद, हम एक ऐसे लोकतन्त्र के मार्ग पर आगे बढ़े जिसमें सभी वयस्कों को मतदान का अधिकार था। दूसरे शब्दों में कहें तो, हम भारत के लोगों ने, अपनी नियति को स्वरूप देने का अधिकार स्वयं को अर्पित किया। अनेक लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं में, gender, religion तथा अन्य आधारों पर लोगों के मताधिकार पर पाबंदियां होती थीं। परंतु, हमने ऐसा नहीं किया। चुनौतियों के बावजूद, भारत के लोगों ने लोकतंत्र को सफलतापूर्वक अपनाया। लोकतन्त्र को अपनाना हमारे प्राचीन लोकतांत्रिक मूल्यों की सहज अभिव्यक्ति थी। भारत-भूमि, विश्व के प्राचीनतम गणराज्यों की धरती रही है। इसे लोकतंत्र की जननी कहना सर्वथा उचित है। हमारे द्वारा अपनाए गए संविधान की आधारशिला पर, हमारे लोकतन्त्र का भवन निर्मित हुआ है। हमने लोकतन्त्र पर आधारित ऐसी संस्थाओं का निर्माण किया जिनसे लोकतान्त्रिक कार्यशैली को मजबूती मिली। हमारे लिए, हमारा संविधान और हमारा लोकतंत्र सर्वोपरि हैं।
अतीत पर दृष्टिपात करते हुए, हमें देश के विभाजन से हुई पीड़ा को कदापि नहीं भूलना चाहिए। आज हमने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया। विभाजन के कारण भयावह हिंसा देखी गई और लाखों लोग विस्थापित होने के लिए मजबूर किए गए। आज हम इतिहास की गलतियों के शिकार हुए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
प्यारे देशवासियो,
हमारे संविधान में ऐसे चार मूल्यों का उल्लेख है जो हमारे लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाए रखने वाले चार स्तंभ हैं। ये मूल्य हैं - न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता। ये हमारी सभ्यता के ऐसे सिद्धांत हैं जिन्हें हमने स्वाधीनता संग्राम के दौरान पुनः जीवंत बनाया। मेरा मानना है कि इन सभी मूल्यों के मूल में, व्यक्ति की गरिमा की अवधारणा विद्यमान है। प्रत्येक व्यक्ति समान है, और सभी को यह अधिकार है कि उनके साथ गरिमापूर्ण व्यवहार हो। स्वास्थ्य-सेवाओं और शिक्षा-सुविधाओं तक, सभी की समान पहुंच होनी चाहिए। सभी को समान अवसर मिलने चाहिए। जो लोग पारंपरिक व्यवस्था के कारण वंचित रह गए थे, उन्हें मदद की जरूरत थी।
इन सिद्धांतों को सर्वोपरि रखते हुए, हमने 1947 में एक नई यात्रा शुरू की। विदेशी हुकूमत की लंबी अवधि के बाद, स्वाधीनता के समय, भारत घोर गरीबी से जूझ रहा था। लेकिन, तब से अब तक के 78 वर्षों में, हमने सभी क्षेत्रों में असाधारण प्रगति की है। भारत ने, आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने के मार्ग पर काफी दूरी तय कर ली है और प्रबल आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ता जा रहा है।
आर्थिक क्षेत्र में, हमारी उपलब्धियां साफ-साफ देखी जा सकती हैं। पिछले वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत की सकल-घरेलू-उत्पाद-वृद्धि-दर के साथ भारत, दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में व्याप्त समस्याओं के बावजूद, घरेलू मांग में तेजी से वृद्धि हो रही है। मुद्रास्फीति पर नियंत्रण बना हुआ है। निर्यात बढ़ रहा है। सभी प्रमुख संकेतक, अर्थव्यवस्था की मजबूत स्थिति को दर्शा रहे हैं। यह, हमारे श्रमिक और किसान भाई-बहनों की कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ-साथ, सुविचारित सुधारों और कुशल आर्थिक प्रबंधन का भी परिणाम है।
सुशासन के माध्यम से, बड़ी संख्या में, लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है। सरकार, गरीबों के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं चला रही है। जो लोग गरीबी-रेखा से ऊपर तो आ गए हैं लेकिन मजबूत स्थिति में नहीं हैं, उनको भी ऐसी योजनाओं की सुरक्षा उपलब्ध है ताकि वे फिर से गरीबी रेखा से नीचे न चले जाएं। ये कल्याणकारी प्रयास, सामाजिक सेवाओं पर बढ़ते खर्च में परिलक्षित होते हैं। आय की असमानता कम हो रही है। क्षेत्रीय असमानताएं भी कम हो रही हैं। जो राज्य और क्षेत्र पहले कमजोर आर्थिक प्रदर्शन के लिए जाने जाते थे, वे अब अपनी वास्तविक क्षमता प्रदर्शित कर रहे हैं और अग्रणी राज्यों के साथ बराबरी करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
हमारे अग्रणी व्यवसायियों, लघु एवं मध्यम उद्यमियों और व्यापारियों ने हमेशा, कुछ कर गुजरने की भावना का परिचय दिया है। समृद्धि के सृजन के मार्ग में आने वाली रुकावटों को दूर करने की आवश्यकता थी। पिछले एक दशक के दौरान, बुनियादी ढांचे में हुए विकास में, यह स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। हमने भारतमाला परियोजना के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क का विस्तार और सुदृढ़ीकरण किया है। रेलवे ने भी नवाचार को प्रोत्साहन दिया है तथा नवीनतम technology से युक्त नए तरह की रेलगाड़ियों और डिब्बों का उपयोग किया जाने लगा है। कश्मीर घाटी में रेल-संपर्क का शुभारंभ करना, एक प्रमुख उपलब्धि है। शेष भारत के साथ घाटी का रेल-संपर्क, उस क्षेत्र में व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देगा और नई आर्थिक संभावनाओं के द्वार खोलेगा। कश्मीर में, इंजीनियरिंग की यह असाधारण उपलब्धि, हमारे देश के लिए एक ऐतिहासिक mile-stone है।
देश में शहरीकरण तेज गति से हो रहा है। इसलिए, शहरों की स्थिति सुधारने पर सरकार विशेष ध्यान दे रही है। शहरी परिवहन के प्रमुख क्षेत्र पर विशेष ध्यान देते हुए, सरकार ने मेट्रो रेल सुविधाओं का विस्तार किया है। पिछले एक दशक के दौरान, मेट्रो रेल-सेवा की सुविधा से युक्त शहरों की संख्या कई गुना बढ़ गई है। शहरों के कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन, यानी ‘अमृत’ ने, यह सुनिश्चित किया है कि अधिक से अधिक घरों में नल से पानी की भरोसेमंद आपूर्ति हो और sewerage connection सुविधा उपलब्ध हो।
सरकार यह मानती है कि जीवन की बुनियादी सुविधाओं पर, नागरिकों का हक बनता है। ‘जल जीवन मिशन’ के तहत ग्रामीण घरों में नल से जल पहुंचाने में प्रगति हो रही है।
अपने तरह की विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य-सेवा योजना, ‘आयुष्मान भारत’ के अंतर्गत, विभिन्न कदम उठाए गए हैं। उन प्रयासों के परिणाम-स्वरूप स्वास्थ्य-सेवा के क्षेत्र में, हम क्रांतिकारी बदलाव देख रहे हैं। इस योजना के तहत अब तक 55 करोड़ से अधिक लोगों को सुरक्षा-कवच प्रदान किया जा चुका है। सरकार ने 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को इस योजना की सुविधा उपलब्ध करा दी है, चाहे उनकी आय कितनी भी हो। स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच से जुड़ी असमानताएं दूर होने से, गरीब और निम्न-मध्यम वर्ग के लोगों को भी सर्वोत्तम संभव स्वास्थ्य-सेवाएं उपलब्ध हो रही हैं।
इस डिजिटल युग में, यह स्वाभाविक है, कि भारत में सबसे अधिक प्रगति, सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में हुई है। लगभग सभी गांवों में 4G मोबाइल connectivity उपलब्ध है। शेष कुछ हजार गांवों में भी यह सुविधा शीघ्र ही पहुंचा दी जाएगी। इससे डिजिटल भुगतान तकनीकी को बड़े पैमाने पर अपनाना संभव हो पाया है। डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में भारत, कम समय में ही, विश्व का अग्रणी देश बन गया है। इससे Direct Benefit Transfer को भी बढ़ावा मिला है, तथा लक्षित लाभार्थियों तक कल्याणकारी भुगतान बिना किसी रुकावट और leakage के पहुंचना सुनिश्चित हो रहा है। दुनिया में होने वाले कुल डिजिटल लेनदेन में से, आधे से अधिक लेनदेन भारत में होते हैं। ऐसे बदलावों से, एक गतिमान डिजिटल अर्थव्यवस्था का निर्माण किया गया है, जिसका योगदान, देश के सकल घरेलू उत्पाद में साल-दर-साल बढ़ रहा है।
Artificial Intelligence, technological advancement का अगला चरण है जो हमारे जीवन में अपना स्थान बना चुका है। सरकार ने देश की AI क्षमताओं को मजबूत करने के लिए India-AI मिशन शुरू किया है। इस मिशन के तहत ऐसे मॉडल विकसित किए जाएंगे जो भारत की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करेंगे। हमारी आकांक्षा है कि वर्ष 2047 तक भारत, एक Global-AI-Hub बन जाए। इस दिशा में, सामान्य लोगों के लिए तकनीकी प्रगति का सर्वोत्तम उपयोग और प्रशासन-व्यवस्था में सुधार करके उनके जीवन को बेहतर बनाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
जन-सामान्य के जीवन को बेहतर बनाने के लिए, कारोबार को आसान बनाने के साथ-साथ जीवन को आसान बनाने पर भी समान बल दिया जा रहा है। विकास, तभी सार्थक होता है जब हाशिये पर के लोगों तक सहायता पहुंचे और उनके लिए नए अवसर उपलब्ध हों। इसके अलावा हम, हर संभव क्षेत्र में, अपनी आत्मनिर्भरता बढ़ा रहे हैं। इससे, हमारा आत्मविश्वास बढ़ा है और विकसित भारत बनने की हमारी यात्रा की रफ्तार तेज हुई है।
पिछले सप्ताह, 7 अगस्त को, देश में 'राष्ट्रीय हथकरघा दिवस' मनाया गया। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य, हमारे बुनकरों और उनके उत्पादों का सम्मान करना है। हमारे स्वाधीनता संग्राम के दौरान, 1905 में शुरू किए गए स्वदेशी आंदोलन की स्मृति में, वर्ष 2015 से, यह दिवस हर साल मनाया जाता है। महात्मा गांधी ने भारतीय कारीगरों और शिल्पकारों के खून-पसीने से निर्मित और उनके अतुलनीय कौशल से युक्त उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए स्वदेशी की भावना को और मजबूत किया था। स्वदेशी का विचार ‘मेक-इन-इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ जैसे राष्ट्रीय प्रयासों को प्रेरित करता रहा है। हम सबको यह संकल्प लेना है कि हम अपने देश में बने उत्पादों को खरीदेंगे और उनका उपयोग करेंगे।
प्यारे देशवासियो,
सामाजिक क्षेत्र में किए गए प्रयासों से संवर्धित, समग्र आर्थिक विकास के बल पर भारत, 2047 तक एक विकसित अर्थव्यवस्था बनने के मार्ग पर अग्रसर है। मैं समझती हूं कि अमृत काल के इस दौर में, आगे बढ़ते जाने की राष्ट्रीय यात्रा में, सभी देशवासी यथाशक्ति अपना सर्वाधिक योगदान देंगे। मेरा मानना है कि समाज के तीन ऐसे वर्ग हैं जो हमें प्रगति के इस मार्ग पर आगे बढ़ाएंगे। ये तीनों वर्ग हैं – हमारे युवा, महिलाएं और वे समुदाय, जो लंबे समय से हाशिये पर रहे हैं।
अंततः, हमारे युवाओं को अपने सपनों को साकार करने के लिए अनुकूल परिस्थितियां मिल गई हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से दूरगामी बदलाव किए गए हैं। शिक्षा को जीवन-मूल्यों से, तथा कौशल को परंपरा के साथ जोड़ा गया है। रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं। उद्यमिता की आकांक्षा रखने वाले लोगों के लिए सरकार ने सर्वाधिक अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराया है। युवा प्रतिभाओं की ऊर्जा से शक्ति प्राप्त करके, हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम का अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। मुझे विश्वास है कि शुभांशु शुक्ला की International Space Station की यात्रा ने एक पूरी पीढ़ी को ऊंचे सपने देखने की प्रेरणा दी है। यह अन्तरिक्ष-यात्रा भारत के आगामी मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम ‘गगनयान’ के लिए अत्यंत सहायक सिद्ध होगी। नए आत्मविश्वास से भरपूर हमारे युवा, खेल-जगत में अपनी पहचान बना रहे हैं। उदाहरण के लिए, शतरंज में अब भारत के युवाओं का जैसा वर्चस्व है वैसा पहले कभी नहीं था। राष्ट्रीय खेल नीति 2025 में निहित vision के अनुरूप, हम ऐसे आमूल बदलावों की परिकल्पना कर रहे हैं जिनके बल पर, भारत एक वैश्विक खेल महाशक्ति के रूप में उभरेगा।
हमारी बेटियां हमारा गौरव हैं। वे प्रतिरक्षा और सुरक्षा सहित हर क्षेत्र में अवरोधों को पार करके आगे बढ़ रही हैं। खेल-कूद को उत्कृष्टता, सशक्तीकरण और क्षमताओं का महत्वपूर्ण संकेतक माना जाता है। विश्व शतरंज चैंपियनशिप के लिए ‘फिडे महिला विश्व कप’ का फाइनल मैच, 19 वर्ष की भारत की एक बेटी और 38 वर्ष की एक भारतीय महिला के बीच खेला गया। यह उपलब्धि, पीढ़ी-दर-पीढ़ी, हमारी महिलाओं में विद्यमान, विश्व-स्तर की सतत उत्कृष्टता को रेखांकित करती है। रोजगार में भी gender gap कम हो रहा है। ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ से, महिला सशक्तीकरण, अब केवल एक नारा न रहकर, यथार्थ बन गया है।
हमारे समाज का एक बड़ा हिस्सा, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अन्य समुदायों के लोगों का है। इन समुदायों के लोग अब हाशिए पर होने का tag हटा रहे हैं। उनकी सामाजिक और आर्थिक आकांक्षाओं को साकार करने के लिए, सक्रिय प्रयासों के माध्यम से, सरकार उनकी सहायता करती आ रही है।
अपनी वास्तविक क्षमता को हासिल करने की दिशा में भारत अब और अधिक तेज गति से आगे बढ़ रहा है। हमारे सुधारों और नीतियों से, विकास का एक प्रभावी मंच तैयार हुआ है। इस तैयारी के बल पर, मैं एक ऐसे उज्ज्वल भविष्य को देख पा रही हूं, जहां हम सब अपनी सामूहिक समृद्धि और खुशहाली में उत्साहपूर्वक योगदान दे रहे होंगे।
उस भविष्य की ओर, हम भ्रष्टाचार के प्रति zero tolerance रखते हुए, अनवरत सुशासन के साथ आगे बढ़ रहे हैं। इस संदर्भ में, मुझे महात्मा गांधी की एक महत्वपूर्ण बात याद आ रही है। गांधीजी ने बताया था और मैं दोहराती हूं:
“भ्रष्टाचार और दंभ, लोकतंत्र के अनिवार्य परिणाम नहीं होने चाहिए।”
हम सब यह संकल्प लें कि गांधीजी के इस आदर्श को कार्यरूप देंगे और भ्रष्टाचार को समूल नष्ट करेंगे।
प्यारे देशवासियो,
इस वर्ष, हमें आतंकवाद का दंश झेलना पड़ा। कश्मीर घूमने गए निर्दोष नागरिकों की हत्या, कायरतापूर्ण और नितांत अमानवीय थी। इसका जवाब भारत ने, फौलादी संकल्प के साथ निर्णायक तरीके से दिया। ऑपरेशन सिंदूर ने यह दिखा दिया कि जब राष्ट्र की सुरक्षा का प्रश्न सामने आता है तब हमारे सशस्त्र बल किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह सक्षम सिद्ध होते हैं। रणनीतिक स्पष्टता और तकनीकी दक्षता के साथ, हमारी सेना ने सीमा पार के आतंकवादी ठिकानों को नष्ट कर दिया। मेरा विश्वास है कि ऑपरेशन सिंदूर, आतंकवाद के विरुद्ध मानवता की लड़ाई में एक मिसाल के तौर पर इतिहास में दर्ज होगा।
हमारी एकता ही हमारी जवाबी कार्रवाई की सबसे बड़ी विशेषता थी। यही एकता, उन सभी तत्वों के लिए सबसे करारा जवाब भी है जो हमें विभाजित देखना चाहते हैं। भारत के दृष्टिकोण को स्पष्ट करने के लिए, विभिन्न देशों में गए संसद-सदस्यों के बहुदलीय प्रतिनिधि-मंडलों में भी हमारी यही एकता दिखाई दी। विश्व-समुदाय ने, भारत की इस नीति का संज्ञान लिया है कि हम आक्रमणकारी तो नहीं बनेंगे, लेकिन अपने नागरिकों की रक्षा के लिए जवाबी कार्रवाई करने में तनिक भी संकोच नहीं करेंगे।
ऑपरेशन सिंदूर, प्रतिरक्षा के क्षेत्र में, ‘आत्मनिर्भर भारत मिशन’ की परीक्षा का भी अवसर था। अब यह सिद्ध हो गया है कि हम सही रास्ते पर हैं। हमारा स्वदेशी विनिर्माण उस निर्णायक स्तर पर पहुंच गया है जहां हम अपनी बहुत सी सुरक्षा-आवश्यकताओं को पूरा करने में भी आत्मनिर्भर बन गए हैं। ये उपलब्धियां स्वाधीन भारत के रक्षा इतिहास में एक नए अध्याय का सूत्रपात हैं।
प्यारे देशवासियो,
इस अवसर पर मैं, आप सभी से यह आग्रह करना चाहती हूं कि पर्यावरण की रक्षा के लिए आप सब हर संभव प्रयास करें। जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना करने के लिए, हमें अपने आप में भी कुछ परिवर्तन करने होंगे। हमें अपनी आदतें और अपनी विश्व-दृष्टि में बदलाव लाना होगा। हमें अपनी धरती, नदियों, पहाड़ों, पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं के साथ अपने संबंधों में भी परिवर्तन करना होगा। हम सब अपने योगदान से, एक ऐसी पृथ्वी छोड़ कर जाएं जहां जीवन अपने नैसर्गिक रूप में फलता-फूलता रहे।
प्यारे देशवासियो,
हमारी सीमाओं की रक्षा करने वाले सैनिकों, पुलिस तथा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की ओर मेरा ध्यान, विशेष रूप से जाता है। मैं न्यायपालिका और civil services के सदस्यों को भी अपनी शुभकामनाएं व्यक्त करती हूं। विदेशों में स्थित भारतीय दूतावासों में कार्यरत भारतीय अधिकारियों और प्रवासी भारतीयों को भी मेरी ओर से स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
मैं एक बार फिर, आप सभी को स्वाधीनता दिवस की बधाई देती हूं।
धन्यवाद।
जय हिंद!
जय भारत!
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